• लेखक – रौनक द्विवेदी (आरा)

आजकल के अधिकतर अफ़सर ज़मीन पर कम और सोशल मीडिया पर ज़्यादा काम करते हुए नज़र आते हैं। आज शायद ही कोई ऐसा अफ़सर होगा जिसके फेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम जैसे सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर अकाउंट नहीं होंगे। 

ये अफ़सर सुबह जगने के बाद शायद यह पता नहीं करते कि उनके क्षेत्र में क्या चल रहा है। बस आंख खोलते ही सोशल मीडिया के दर्शन कर ज्ञान वाले पोस्ट डालने लगते हैं और घंटों तक अपनी पिछली पोस्ट और ट्विट पर मिले लाइक्स गिनने और कॉमेन्ट्स पढ़ने, रिप्लाई देने में व्यस्त हो जाते हैं। इसमें सबसे कमाल की बात यह है कि ये दूसरों को उपदेश भी देते हैं कि सोशल मीडिया से दूर रहें मगर ख़ुद 2-2 बजे रात तक एक्टिव रहते हैं। 

ऐसे अफ़सरों के भीतर कविता, कहानियां भी लिखने का जुनून है। ये अक्सर अपनी कलम का जादू सोशल मीडिया पर दिखाते हुए नज़र आते हैं। तो वहीं कई अफ़सरों को मॉटिवेशनल बातें कर के वाहवाही लूटना पसन्द है। कोई राष्ट्रवाद की बातें कर के यूज़र्स को अपनी तरफ़ खिंचता है तो कोई धर्मवाद की। कुछ अफ़सर सोशल मीडिया पर अपनी राजनीतिक विचारधारा को भी दिखाने, बताने से परहेज़ नहीं करते और इसी कारण उन्हें आए दिन विवादों से दो-दो हाथ करना पड़ता है।

इन अफ़सरों को हथियारों के साथ प्रदर्शन करते हुए भी देखा जाता है। ये अफ़सर अपनी लग्जरी लाइफ़ दिखाने में भी आगे रहते हैं। इन्हें कुल्लू-मनाली टूर और अपनी विदेश यात्राओं की तस्वीरें, लाल बत्ती वाली गाड़ियों के साथ सेल्फी शेयर करना काफ़ी पसन्द है। कइयों को तो गाने और एक्टिंग करने का भी शौक़ है। ये रोज़ किसी न किसी फ़िल्मी गानों और डायलॉग्स पर रील्स बना-बना कर डालते हैं। तभी तो लोग इनकी सादगी देख कर अपना दिल हार बैठते हैं और यह सलाह देने में एक पल की भी देरी नहीं लगाते कि आपको तो फ़िल्मों में भी ट्राई करनी चाहिए।

हालांकि, सोशल मीडिया पर वो अफ़सर बहुत कम दिखते हैं, जो ये बताते हों कि आज मैंने अपराध के ख़िलाफ़ यह क़दम उठाया। आज मैंने भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए ऐसी तरक़ीब अपनाई। ऐसे अफ़सर किसी दिन ऐसी सामग्री अपने प्रशंसकों के साथ साझा नहीं करते जिसमें यह दिखाया गया हो कि उनके राज्य, उनके क्षेत्र में क्राइम और क्रप्शन का ग्राफ कैसा है।

हर व्यक्ति की तरह इन अफ़सरों को भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का अधिकार है मगर उस अधिकार का इस्तेमाल अनावश्यक रूप में करना क्या सही है? क्या ऐसे अफ़सरों द्वारा सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी निजता का उल्लंघन करने से उनके काम पर, उनकी ज़िम्मेदारियों पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता होगा?

यह लेखक के अपने विचार हैं…

By VASHISHTHA VANI

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