- कैंसर की इलाज पद्धतियों में आई हालिया तरक्की की बदौलत आखिरी चरण में भी पहुंच चुके कई तरह के कैंसर के इलाज का शानदार परिणाम
लखनऊ। टेक्नोलॉजी की तरक्की, न्यूनतम चीर-फाड़ वाली कैंसर सर्जरी भी अब आम बात हो गई है। लोगों को अभी भी यह जानकारी देने की जरूरत है कि ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में हालिया तरक्की के कारण कैंसर का अब पूरी तरह इलाज हो सकता है। इसके अलावा शुरुआती डायग्नोसिस कराने से न सिर्फ मरीज के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि उसके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती है। रोग के सामूहिक स्तर पर प्रबंधन, आधुनिक उपचार पद्धतियों और शुरू में ही डायग्नोसिस करा लेने के महत्व को बताने के लिए मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर, साकेत ने एक जन जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया।

मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली के चेयरमैन डॉ. हरित चतुर्वेदी ने कहा, कैंसर की इलाज पद्धतियों में आई हालिया तरक्की की बदौलत आखिरी चरण में भी पहुंच चुके कई तरह के कैंसर के इलाज का शानदार परिणाम मिला है और पिछले कुछ वर्षों के दौरान मरीज के जीवित बचने की दर ठीक हुई है। परंपरागत सर्जरी के मुकाबले न्यूनतम कट वाली शल्यक्रिया से मरीज को कई सारे फायदे मिलते हैं, मसलन, छोटा कट, तेज रिकवरी, कम दर्द, अस्पताल में कम समय तक रहने की नौबत और सर्जरी के बाद बहुत कम परेशानियां। दा विन्सी रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी जैसी आधुनिक सर्जिकल टेकनोलॉजी की मदद से हम बहुत परिशुद्धता के साथ इन प्रक्रियाओं को अंजाम दे पाते हैं जिनमें ऑपरेशन के बाद कम से कम ख्याल रखना पड़ता है और शीघ्र रिकवरी होती है। दरअसल, महामारी के बाद रोबोटिक सर्जरी की मांग ज्यादा हुई है क्योकि इससे मरीजों को अस्पताल में कम समय रुकना पड़ता है और सर्जरी के बाद परेशानियां भी कम होती हैं।
ग्लोबाकैन 2020 के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, कैंसर के सभी मामलों में सिर और गर्दन के कैंसर के मामले 24 फीसदी से अधिक पाए गए हैं जबकि पिछले वर्ष कुल 2.75 लाख मामले पाए गए थे। कैंसर केयर ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. देवव्रत आर्या ने कहा, हमारा अंतिम लक्ष्य कैंसर मरीजों के ठीक होने, जीवित रहने की दर में सुधार लाना तथा महंगे या निष्प्रभावी इलाज का कम से कम इस्तेमाल करने पर है। पहले मरीजों को कीमोथेरापी की जरूरत पड़ती थी लेकिन ऑन्कोलॉजी में परिशुद्धता आने से इस रोग की उपचार पद्धति में जबर्दस्त बदलाव आया है। लक्षित थेरापी के जरिये यह पद्धति अधिक प्रभावी है और कीमोथेरापी की तुलना में इसके बहुत कम साइड इफेक्ट होते हैं। हम सटीक दवाइयों के जरिये लैब टेस्ट करने में सक्षम हो गए हैं, हमारे पास अनुभवी मोलेकुलर ऑन्कोलॉजिस्ट और क्लिनिशियन हैं जो मरीजों को अपनी विशेषज्ञता का लाभ देते हैं। जटिल मामलों को पहले मोलेकुलर ट्यूमर बोर्ड के पास लाया जाता है और कई विभागों के विशेषज्ञों के विचार विमर्श के बाद ही कोई फैसला किया जाता है।
डॉ. अदिति चतुर्वेदी ने कहा, ऑन्कोप्लास्टी तकनीक के आने से नकारात्मक परिणाम कम सुनिश्चित हुए हैं और ब्रेस्ट का आकार भी लगभग सामान्य बना रहता है। अपने मरीजों को बेहतर परिणाम देने के लिए हम ब्रेस्ट सर्जन, मेडिकल एंड रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जन, पैथोलॉजिस्ट एवं रेडियोलॉजिस्ट आदि के साथ घनिष्ठ संवाद बनाए रखते हैं।
डॉ. अक्षत मलिक ने कहा, पहले गर्दन की सर्जरी और थायरॉयडेक्टोमी की सर्जरी बहुत कष्टकारी होती थी, गर्दन पर भी गहरा दाग पड़ जाता था जो समय के साथ और ज्यादा विकृत तथा भद्दा लगने लगता था। लेकिन हाल की तरक्की और आधुनिक टेक्नोलॉजी की बदौलत जटिल तथा अत्यंत मुश्किल हिस्से का ट्यूमर भी न्यूनतम शल्यक्रिया और सर्जिकल रोबोट की मदद से बड़ी आसानी से निकाल लिया जाता है। इस तरह के ज्यादातर कैंसरों का इलाज अब संभव है और अब इसमें कोई दूसरी बीमारी होने या सौंदर्य बिगड़ने का भी कोई डर नहीं रहता है। कई मामलों में हम उसी अंग के आसपास के टिश्यू से ही मरीज का सौंदर्य बरकरार रखते हैं जिसमें खर्च भी नहीं बढ़ता है।
डॉ. डोडुल मंडल ने कहा, टोमोथेरापी (रेडिसैक्टकृएक्स9), आईजीआरटी, वीमैट, रैपिडआर्क, रेडियोसर्जरी, स्टीरियोटैक्टिक रेडिएशन, प्रोटोन बीम थेरापी आदि जैसी आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने बहुत कम साइड इलेक्ट्स के साथ सटीक उपचार विकल्प दिए हैं। इन सबके कारण कैंसर मरीजों के ठीक होने और जीवन की गुणवत्ता की दर बढ़ी है। ब्रेस्ट कैंसर पूरी दुनिया में सबसे आम प्रकार का कैंसर है इससे हर साल 23 लाख से ज्यादा महिलाएं पीड़ित होती हैं और वैश्विक स्तर पर कैंसर के मामलों में लगभग 12 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर के ही मामले होते हैं। नॉन मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर को ठीक करने में अभी भी सर्जरी ही बड़ा सहारा है और यह सर्जरी मास्टेक्टोमी तथा ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी (बीसीएस) के तरीकों से अपनाई जाती है। उन्नत सर्जिकल तकनीकों की बदौलत शुरुआती चरण में जांच और जीवन की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देने से हमारे ज्यादातर मरीजों के लिए बीसीएस बेहतर विकल्प होता जा रहा है।