Joshimath Crisis: जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव ने स्थानीय जनता से लेकर सरकार तक की टेंशन बढ़ा दी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर आज गृह मंत्रालय में बड़ी बैठक बुलाई है. बैठक में एनडीआरएफ, गृह सचिव और इससे जुड़े कई अधिकारी शामिल होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस आपदा पर अपनी नजर बनाए हुए हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक हफ्ते में दूसरी बार जोशीमठ पहुंचे हैं. उन्होंने वहां कल पूरी रात गुजारी और आज दिन में भी प्रभावित इलाकों का दौरा किया, लोगों से मिले और उन्हें मदद का आश्वासन दिया. इधर जोशीमठ में खराब होते मौसम ने सबकी चिंताएं और बढ़ा दी हैं.
जोशीमठ में जमीन धंसने से दो होटलों- सात मंजिला ‘मलारी इन’ और पांच मंजिला ‘माउंट व्यू’ को गिराने का काम कल शुरू होना था, लेकिन मुआवजे पर स्थानीय लोगों और होटल मालिकों के विरोध की वजह से यह काम शुरू हो नहीं हो पाया. लोगों के गुस्से के बीच कल रात सीएम पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ के उस रिलीफ कैंप में पहुंचे, जहां प्रभावित परिवार के लोग ठहरे हैं. उन्होंने साफ कर दिया कि अभी सिर्फ होटलों को ढहाया जाएगा, न की असुरक्षित घरों को. सर्वे पूरा होने पर प्रभावित लोगों को सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा. वहीं प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि उन्हें बद्रीनाथ महायोजना की तर्ज पर मुआवजा मिले.
जोशीमठ मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान उत्तराखंड सरकार ने जवाब में कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की स्थिति पर पैनी नजर है. NDRF की टीमों को जोशीमठ में तैनात किया गया है. यहां 5000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा चुका है. उत्तराखंड सरकार इस मामले में सजग है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 16 जनवरी को सुनवाई होनी है. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जोशीमठ मामले में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की मांग की गई है. अब फरवरी में इस मामले में सुनवाई होगी. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (IIRS) ने करीब 2 साल की सेटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद सरकार को दी गई अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जोशीमठ हर साल 6.62 सेंटीमीटर यानी करीब 2.60 इंच धंस रहा है.
आईआईआरएस देहरादून के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2020 से मार्च 2022 के बीच जोशीमठ और आसपास के करीब 6 किलोमीटर क्षेत्र की सेटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन किया, जिसमें जोशीमठ व आसपास के क्षेत्र में आ रहे भूगर्भीय बदलाव को देखा गया. आईआईआरएस ने एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें जोशीमठ के थ्री-डी बदलावों को दिखाया गया है. आईआईआरएस ने जो वीडियो जारी किया है, उसमें यह भी दर्शाया गया कि भू-धंसाव केवल जोशीमठ शहर में ही नहीं हो रहा है, बल्कि पूरी घाटी इसकी चपेट में है. आने वाले समय में इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं.
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि अब तक की जांच पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि जोशीमठ के भीतर की चट्टानें और ढलान दोनों एक ही दिशा में बढ़ रहे हैं. आमतौर पर चट्टानें समतल होती हैं, लेकिन यहां लगातार धंस रही हैं. इलाके की जियो फिजिकल और जियो टेक्निकल स्टडी होने के बाद भू-धंसाव का कारण और स्पष्ट हो पाएगा. सीएम धामी ने जोशीमठ पहुंचने पर संवाददाताओं से कहा, ‘हम जोशीमठ के लोगों के साथ खड़े हैं. प्रधानमंत्री स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. प्रभावित लोगों के हितों का ध्यान रखा जाएगा.’ प्रभावित परिवारों के बीच पैकेज राशि के वितरण एवं पुनर्वास पैकेज की दर सुनिश्चित करने के लिए चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना की अध्यक्षता में 19 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.