Hijab Controversy: कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court) के समक्ष तर्क दिया कि हिजाब (Hijab) पहनना इस्लाम की एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और शैक्षणिक संस्थाओं में इसके उपयोग को रोकना धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन नहीं है.

कर्नाटक सरकार के एडवोकेट जनरल (Karnataka Advocate General) प्रभुलिंग नवदगी (Prabhuling Navadgi) ने कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एम दीक्षित की फुल बेंच को बताया, “हमने एक स्टैंड लिया है कि हिजाब (Hijab) पहनना इस्लाम का एक अनिवार्य धार्मिक हिस्सा नहीं है.”

कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग ने कुछ मुस्लिम छात्रों के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिन्होंने 5 फरवरी को कर्नाटक सरकार के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें छात्रों को हिजाब (Hijab) या भगवा स्कार्फ (Bhagawa Scarf) पहनने से प्रतिबंधित किया गया था. मुस्लिम छात्रों का तर्क था कि राज्य सरकार का यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है.संविधान का अनुच्छेद 25 (Article 25 of Indian Constitution) भारत के नागरिकों को अंतःकरण और धार्मिक मान्यताओं के पालन और व्यवसाय, धार्मिक आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता प्रदान करता है.

एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवादगी ने कर्नाटक हाई कोर्ट के सामने तर्क दिया कि 5 फरवरी का सरकारी आदेश भी संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (Article 19-1-A of Indian Constitution) का उल्लंघन नहीं करता है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) सभी नागरिकों को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech and Expression) का अधिकार प्रदान करता है.

By VASHISHTHA VANI

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