- विकास की गति एवं पर्यावरण के बीच संतुलन आवश्यक – राज्यपाल श्री कोश्यारी
- पर्यावरण संरक्षण को पाठ्यक्रम मे शामिल किया जाए – आचार्य लोकेशजी
- पर्यावरण संरक्षण के लिए जल और जंगल दोनों की रक्षा ज़रूरी- आशीष शैलार भाजपाध्यक्ष मुम्बई
- पर्यावरण के लिए जीवन शैली में बदलाव ज़रूर– दीपक केसरकर शिक्षा मंत्री महाराष्ट्र
मुम्बई : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के लिए एक ऐतिहासिक ‘मुंबई सतत शिखर सम्मेलन एवं अवार्ड’ समारोह का उदघाटन महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारीजी, विश्व शांतिदूत आचार्य लोकेशजी, महाराष्ट्र शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर, भाजपा अध्यक्ष आशीष शैलार ने किया| यह सम्मेलन विवेकानंद यूथ कनैक्ट फ़ाउंडेशन द्वारा में आयोजित हुआ जिसकी थीम “स्मार्ट और सतत मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए विचार और कार्य” रही। इस अवसर पर आरएसएस के पर्यावरण विंग के संयोजक श्री गोपाल आर्या, भाजपा मुंबई के अध्यक्ष अधिवक्ता आशीष शेलार, समाजसेवी नानक रूमाणी आयोजक एवं विवेकानंद यूथ कनैक्ट फ़ाउंडेशन के संस्थापक डॉ राजेश सर्वज्ञ मौजूद रहे। इस सम्मेलन में लगभग 300 विभिन्न हितधारकों सहित बड़ी संख्या में लोगो ने मुंबई महानगर क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन के लिए स्थिरता हेतु भाग लिया।

महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि बदली हुई स्थिति के साथ बदलाव की आवश्यकता को समझते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक काम करने की आवश्यकता है। पहले पानी , हवा, पेड़ पौधों के बारे में निश्चंतता थी। लेकिन विकास की गति के साथ सब प्रभावित हुए हैं। जीव जंतु भी खतरे में हैं। ऐसे में पर्यावरण व संस्कृति बचाने की दृष्टि से विवेकानंद यूथ कनैक्ट फ़ाउंडेशन जैसे संस्थाओं द्वारा किए जाने वाले प्रयासों को सहयोग दिया जाना चाहिए। उन्होने पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण जैसे कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए आव्हान किया कि एक ही पौधा लगाएं पर उसे जिंदा रखे। लाख, करोड़ पौधे लगाने के दावे तो अक्सर किए जाते हैं पर उतने पौधे उग नहीं पाते हैं। मां-भाई जैसे बच्चों की चिंता करते हैं वैसी चिंता के साथ पौधों को मातृछाया देने की आवश्यकता है।
अहिंसा विश्व भारती के संथापक विश्व शांतिदूत आचार्य डॉ लोकेशजी ने कहा कि दुनिया में बड़ी तेजी के जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे है, तापमान बढ़ रहा है, ओज़ोन की छतरी में छेद हो रहा है, जिससे सूरज से निकलने वाली हानिकारक किरणे प्राणीमात्र को हानि पहुंचा रहा है, वातावरण प्रदूषण बढ़ रहा है| विश्वव्यापी इस समस्या के समाधान के लिए हमें इसके मूल कारणों को खोजकर इसका निवारण करने की आवश्यकता है| पर्यावरण संरक्षण के लिए हमे अपनी जीवन शैली पर ध्यान देना होगा। पदार्थ सीमित हैं और इच्छाएं असीम है| सीमित पदार्थ असीम इच्छाओं की पुर्ति नहीं कर सकते| पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए नीति बनाना आवश्यक है और साथ मे शिक्षा के साथ भी इसे जोड़ना जरूरी है।

महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि संत समाज सिर्फ धर्म कर्म पर ही चर्चा नहीं करते बल्कि प्रकृति व उससे जुड़े पहलुओं पर संजीदा रहता है| भारत के प्राचीन महर्षि भली भांति जानते थे कि पेड़ों मे भी चेतना है | इसीलिए उन्हे मनुष्य के समतुल्य माना गया, एक वृक्ष कि मनुष्य के दस पुत्रों से तुलना की गई है | पृथ्वी का आधार जल और जंगल है, पृथ्वी की रक्षा के लिए दोनों महत्वपूर्ण है|
आरएसएस के पर्यावरण विंग के संयोजक श्री गोपाल आर्या सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं पेड़ पौधों का कम होना हमारे व हमारी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को चौपट कर रहे हैं| अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत ‘जल’ को प्रदूषण से बचाना होगा|
भाजपा मुंबई के अध्यक्ष अधिवक्ता आशीष शेलार ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है| प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है|
विवेकानंद यूथ कनैक्ट फ़ाउंडेशन के संस्थापक डॉ राजेश सर्वज्ञ ने कहा कि ‘मुंबई सतत शिखर सम्मेलन’ मुख्य उद्देश्य पर्यावरण प्रभाव और स्थिरता के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों, विशेषज्ञों और विचारकों के विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मूल्यवान मंच प्रदान करना है। शिखर सम्मेलन बड़े पैमाने पर सरकार, कॉर्पोरेट क्षेत्र, शिक्षा, गैर-सरकारी संगठनों और नागरिक समाज से प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाने का कार्य कर रहा है।