जयपुर: गुर्जर संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया है। किरोड़ी बैसला लंबे समय से बीमार चल रहे थे। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर गुरुवार को सुबह किरोड़ी को लेकर जयपुर स्थित आवास से मणिपाल हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बैंसला के निधन से गुर्जर समाज में शोक की लहर छा गई है। कर्नल बैंसला के निधन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद ओम प्रकाश माथुर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित विभिन्न नेताओं ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ था । गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर ही थी, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ था। उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया और सिपाही के रूप में भर्ती हो गए। बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे। उन्हें दो उपनामों से भी उनके साथी जानते थे। सीनियर्स उन्हें ’’जिब्राल्टर का चट्टान’’ और साथी कमांडो ’’इंडियन रेम्बो’’ कह कर बुलाते थे। किरोड़ी सिंह की जाबांजी ही थी कि सेना में मामली सिपाही के तौर पर भर्ती होने वाला तरक्की पाते हुए वह कर्नल की रैंक तक पहुंचे। बैंसला के चार संतान हैं। एक बेटी रेवेन्यु सर्विस और दो बेटे सेना में है. और एक बेटा निजी कंपनी में कार्यरत है। बैंसला की पत्नी का निधन हो चुका है और वे अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते हैं।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने सेना से रिटाटर होने के बाद राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की। आंदोलन के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया। आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे। गुर्जर आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। उनका कहना है कि राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है और इससे उन्हें सरकारी नौकरी में खासा प्रतिनिधित्व मिला। लेकिन गुर्जरों के साथ ऐसा नहीं हुआ, गुर्जरों को भी उनका हक मिलना चाहिए।
2004 में गुर्जर समुदाय के लिए की थी आरक्षण की मांगकर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 2004 से गुर्जर समुदाय को अलग से आरक्षण देने की मांग करते हुए आरक्षण आंदोलन की कमान हाथ में ली। पटरी पर बैठकर आंदोलन करने से वह आरक्षण आंदोलन का चेहरा बन गए थे। उनके आंदोलन के बाद तत्कालीन वसुंधरा राजे की सरकार ने चौपड़ा कमेटी बनाई, जिसने गुर्जरों की हालत पर रिपोर्ट तैयार की। लंबे चले आरक्षण आंदोलन के बाद गुर्जर सहित पांच जातियों को ओबीसी के साथ पहले स्पेशल बैक वर्ड क्लास और फिर मोस्ट बैक वर्ड क्लास (एमबीसी) में अलग से आरक्षण मिला।