New Delhi. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए आम्रपाली बिल्डर ग्रुप (Amrapali Builders) के तत्कालिन सीएमडी डॉ. अनिल शर्मा (Anil Sharma) सहित 8 अन्य लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है. दरअसल यह मामला बिहार के लखीसराय में हुए एक हत्याकांड से जुड़ा हुआ है. 2 अगस्त 2014 को लखीसराय स्थित वहां के बहुत ही चर्चित बालिका विद्यापीठ शिक्षण संस्थान के पूर्व सचिव डॉ. कुमार शरदचंद्र की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पीड़ित पक्ष यानी मृतक की पत्नी ऊषा शर्मा ने पटना हाईकोर्ट (Patna High court) में याचिका दायर की थी.
हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता और तमाम सबूतों को देखते हुए पिछले महीने केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को इस मामले की तफ्तीश का आदेश दिया था. सीबीआई ने इस मामले की प्रारंभिक जांच करने के बाद आम्रपाली बिल्डर के पूर्व सीएमडी अनिल शर्मा 9 लोगों पर केस दर्ज कर लिया.
सूत्रों की मानें तो सीबीआई को इस मामले की तफ्तीश के दौरान कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ये मामला करीब 8 साल पुराना है और इन आठ सालों में उन तमाम सबूतों और गवाहों को ढूंढ पाना थोड़ा मुश्किल है.
पिछले महीने हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश में राज्य की सीआईडी ब्रांच को भी इस हत्याकांड से जुड़े तमाम रिकॉर्ड सहित अन्य जानकारियां सीबीआई के साथ जल्द से जल्द साझा करने का निर्देश दिया गया था, जिससे सीबीआई को इस केस की तफ्तीश में मदद मिल सके.
- अनिल कुमार शर्मा, आम्रपाली ग्रुप के तात्कालीन सीएमडी
- डॉ. प्रवीण कुमार सिन्हा- पचना रोड निवासी, लखीसराय
- डॉ. श्याम सुंदर प्रसाद सिंह- पंजाबी मोहल्ला, लखीसराय
- राजेन्द्र सिंघानिया- बड़ी दुर्गास्थान, नया बाजार, लखीसराय
- अनीता सिंह- बालिका विधापीठ की तात्कालिन प्रचार्य
- शंभू शरण सिंह- पेशे से वकील, लोदिया थाना निवासी
- राधेश्याम सिंह- लखीसराय निवासी
- दो अज्ञात आरोपी
बालिका विद्यापीठ के पूर्व सचिव की क्यों हुई थी हत्या?
सीबीआई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 2 अगस्त 2014 को बालिका विद्यापीठ के पूर्व सचिव डॉ. कुमार शरदचंद्र को उनके आवास में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में उस वक्त शॉर्प शूटर का रोशन कुमार सिंह का नाम सामने आया था. रोशन से शुरुवाती पूछताछ में नीरज कुमार, पंकज सिंह और मखरू सिंह नामक बदमाशों का पता चला. सूत्रों के मुताबिक, बालिका विद्यापीठ की करोड़ों रुपये की जमीन और संस्था पर अवैध तौर पर कब्जा करने की कोशिश के तहत इस अपराधिक साजिश को अंजाम दिया गया था.
सूत्र ये भी बताते हैं कि कुछ नामजद आरोपियों के द्वारा इस शिक्षण संस्थान के नाम पर फर्जी बैंक अकाउंट खोले गए थे और आम्रपाली के बड़े अधिकारियों के निर्देश पर उस फर्जी बैंक एकाउंट से लेनदेन किया जाता था. डॉ. कुमार शरदचंद्र ने इसका विरोध किया था और प्रतीत होता है कि इसी वजह से उनकी हत्या कर दी गई.